Monday, June 7, 2010


अवैध सागौन भरकर ला रहे आटो को किया राजसाद
(पिंकी उपाध्याय)
सिवनी-:सिवनी वनपरिक्षेत्र के अंतर्गत काष्ठागार डिपो में उपस्थित कर्मचारियों को मुखबिर से यह सूचना प्राप्त हुई थी कि एक आटो रिक्शा में अवैध रूप से काटी गई सागौन की लकड़ी लाई जा रही है सूचना के आधार पर काष्ठागार के अधिकारी और कर्मचारी उक्त आटो की प्रतीक्षा करते रहे शाम लगभग ७.३० बजे मैली गांव की तरफ से एक आटो रिक्शा आता हुआ दिखाई दिया जिसे कर्मचारियों ने सड़क के किनारे रोकने के संकेत दिये किंतु आटो नहीं रूका और तीव्रगति से आगे बढ़ गया संदेह होने पर कर्मचारियों ने उक्त आटो का पीछा किया कर्मचारियों को पीछा लगा देख आटो चालक ने जनता नगर से पिपरिया की ओर जाने वाले मार्ग में लगभग ५० मीटर भीतर जाकर न केवल आटो रोक दिया बल्कि उसमें सवार दो लोग आटो को वहीं छोड़कर फरार हो गये जिनकी पहचान अंधेरे के कारण न हो सकी और न ही उन्हें पकड़ा जा सका कर्मचारियों द्वारा उक्त आटो की तलाशी ली गई जिसमें ६ नग सागौन के टुकड़े जो कि ०.०८९ घन मीटर भरे हुये थे कर्मचारियों द्वारा उक्त आटो को जप्त किया जाकर परिक्षेत्र कार्यालय लाया गया और लकड़ी की जप्ती बनाई जाकर आटो की भी जप्त कर लिया गया तथा प्रकरण क्रमांक ४६९९/५ दिनांक ०२ मई १० के अंतर्गत धारा ४१ भारतीय वन अधिनियम १९२७ पंजीकृत कर वन परिक्षेत्र अधिकारी ने अगले दिन अपना प्रतिवेदन तैयार कर आटो में जप्त सागौन और आटो के राजसाद का प्रस्ताव उच्चाधिकारियों को दिया प्राधिकृत अधिकारी एवं उपवन मंडल अधिकारी सिवनी सामान्य आर.बी. सिंह के द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि उक्त वन अपराध प्रथम दृष्टया म.प्र. वनोपज (व्यापार विनियमन) अधिनियम १९६९ की धारा ५ एवं १७ अंतर्गत पाया जाने के कारण राजसाद की सूचना मुख्य न्यायायिक दंडाधिकारी सिवनी को आगे बढ़ाते हुये चूकि आटो चालक और उसमें रखी लकड़ी का मालिक फरार हो चुके थे ऐसी स्थित में समाचार पत्रों के माध्यम से उनके वारसानो को उपस्थित होकर अपना दावा प्रस्तुत किये जाने का अवसर प्रदान किया गया था निश्चित अवधि बीत जाने के बाद भी जब आटो और उसमें जप्त लकड़ी के संबंध कोई दावा प्राप्त नहीं हुआ इसीलिये ऐसी स्थिति में धारा १५ (५)ग एवं घ मध्यप्रदेश वनोपज (व्यापार विनियमन) अधिनियम १९६९ अंतर्गत की कार्यवाही को मेरे विचार से आवश्यकता प्रतीत नहीं होती एवं वाहन से ६ नग अवैध सागौन के परिवहन का अपराध सिद्ध होता है उक्त परिस्थिति में मैं अपने अधिकारो का उपयोग करते हुये अवैध सागौन के परिवहन में लिप्त पाये जाने वाले वाहन आटो रिक्शा एम.पी. २८ टी. ०१९६ को शासन के पक्ष में राजसाद करने के आदेश पारित करता हँू।

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