Monday, June 7, 2010




जिला शिक्षा अधिकारी एल.एस. ठाकुर की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में
शुरूआती शिक्षा से ही की जा रही लूट को समर्थन

(पिंकी उपाध्याय)
घटना का विवरण
१७ अप्रैल २०१० को कचहरी चौक के पास संदेश सदन में लगने वाले सैंट फ्रांनसिस ऑफ असिसि स्कूल में सुबह ९ बजे से नर्सरी से कक्षा चौथी तक प्रवेश परीक्षा आयोजित की गई थी जिसमें छोटे-छोटे नन्हें छात्र/छात्राओं को शाला भवन के अंदर लेकर बाहर से शटर बंद कर दिया गया था एवं पालकों को बाहर रखा गया था इसी परीक्षा के चलते एक जागरूक पालक द्वारा इस परीक्षा की जानकारी मान. कलेक्टर महोदय एवं जिला शिक्षा अधिकारी को १० बजे दी गई किंतु ११ बजे जब ये परीक्षा समाप्त हुई तब जिला शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर आये शिक्षा विभाग के अमले द्वारा इस परीक्षा को अवैध बताते हुये पालकों को नसीहत सुनाई गई जब एक पालक ने कहा कि आप हमसे क्या चाहते हैं तो शिक्षा विभाग उडऩ दस्ता के अधिकारी ने कहा कि पंचनामे में ५ पालको के हस्ताक्षर चाहिये तब एक पालक ने उन्हें बताया कि सभी पालको के हस्ताक्षर सामने बैठी शिक्षिका के पास हैं तो शिक्षिका कागजो समेत दौड़कर शाला भवन में प्रिंसीपल के रूम के अंदर चली गई तत्पश्चात समस्त पालको को शाला प्रांगण से बाहर कर शाला द्वार में ताला लगा दिया गया इसके बाद अंदर क्या बात हुई इसका न तो जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा खुलासा किया गया और ना ही शाला के व्यवस्थापक शिक्षको द्वारा।
की गई कार्यवाही का विवरण
दिनांक १९-०४-२०१० को जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा सैंट फ्रांनसिस ऑफ असिसि स्कूल को कारण बताओ नोटिस क्रमांक १२५३/मान्यता/२०१० जारी किया गया जिसके अनुसार विकासखंड शिक्षा अधिकारी सिवनी द्वारा प्रस्तुत निरीक्षण प्रतिवेदन के अनुसार विकासखंड शिक्षा अधिकारी सिवनी के नेतृत्व में निरीक्षण दल द्वारा दिनांक १७-०४-२०१० को आपके विद्यालय का आकस्मिक निरीक्षण किया गया निरीक्षण के दौरान विद्यालय में उपस्थित कुछ पालकों द्वारा मौखिक जानकारी दी गई कि विद्यार्थियों के प्रवेश हेतु परीक्षा/साक्षात्कार लिया जा रहा है जिसकी पुष्टि प्राचार्य द्वारा की गई हैं चंूकि दिनांक ०१-०४-२०१० से संपूर्ण मध्यप्रदेश में शिक्षा का अधिनियम २००९ लागू किया गया हैं जो कि समस्त शासकीय, अशासकीय, अनुदान प्राप्त विद्यालयों पर लागू हैं जिसके परीपालन में विद्यालय में प्रवेश हेतु बच्चों को साक्षात्कार/प्रवेश परीक्षा अथवा स्क्रीनिंग आदि पूर्णत: प्रतिबंधित हैं विद्यालय के संबंध में इस प्रकार की शिकायत प्राप्त अर्थात आपके द्वारा भारत सरकार द्वारा पारित शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९ का पालन नहीं किया जा रहा है जो कि अत्यंत आपत्ति जनक हैं उक्त संबंध में अपना स्पष्टीकरण ३ दिवस के अंदर इस कार्यालय में प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें।
इस कार्यवाही में सैंट फ्रांनसिस ऑफ असिसि स्कूल के शाला प्रबंधक द्वारा दिये गये पत्र जो कि अंग्रेजी भाषा में था उसमें यह कहा गया था कि श्रीमान जिला शिक्षा अधिकारी महोदय सिवनी मान्यवर जी आपके कार्यालय से कुछ लोग किसी जाँच के लिये हमारी शाला में आये थे किंतु मैंनेजर इंचार्ज का आपरेशन हुआ हैं और वे अभी तक अस्पताल में ही हैं अत: हम आपको वर्तमान में कोई कागजात नहीं उपलब्ध करा सकते है जैसे ही वो ठीक होते हैं उनके मार्गदर्शन में हम आपको आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध करा देंगे असुविधा के लिये खेद हैं।


स्कूल प्रशासन द्वारा कारण बताओ नोटिस का दिया गया जवाब
कारण बताओ सूचना पत्र के जवाब में शाला प्रशासन द्वारा यह जवाब दिया गया कि पत्र क्रमांक १२५३, दिनांक १९-०४-२०१० उपरोक्त संदर्भित पत्र के द्वारा शिक्षा का अधिकार अधिनियम के उल्लंघन के संबंध में विद्यालय से कारण बताओ नोटिस चाहा गया तत्संबंध में निवेदन है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम दिनांक ०१-०४-२०१० से लागू किया गया हैं तथा शिक्षा अधिकार अधिनियम में कक्षा नर्सरी के प्रवेश हेतु प्रवेश परीक्षा स्क्रीनिंग/साक्षात्कार को प्रतिबंधित किया गया जबकि इस विद्यालय द्वारा माह फरवरी २०१० में ही कक्षा नर्सरी की प्रवेश परीक्षा पूर्ण कर ली गई थी दिनांक १९-०४-२०१० को विकासखंड शिक्षा अधिकारी के आकस्मिक निरीक्षण के दौरान नर्सरी के अतिरिक्त अन्य बड़ी कक्षाओं में प्रवेश हेतु बच्चों के स्तर का परीक्षण किया जा रहा है अर्थात आवेदक छात्र/छात्रा को किस कक्षा में प्रवेश दिया जाना है यह ज्ञात किया जाकर प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण की जा रही हैं जो कि विकासखंड अधिकारी सिवनी के निर्देशानुसार यह परीक्षण कार्य भी तत्काल स्थगित कर दिया गया है विद्यालय प्रबंधन सदैव शासन द्वारा जारी नीति निर्देशो के अनुरूप विद्यालय संचालन हेतु प्रतिबद्ध हैं।
मामले की सच्चाई
१. इस मामले में सर्व प्रथम आकस्मिक निरीक्षण के दौरान कोई कागज जप्त न किया जाना जो कि सामने ही रखे थे जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा भेजे गये निरीक्षण अधिकारी की कार्यप्रणाली पर प्रश्र चिन्ह लगाता हैं।
२. जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा लगातार पत्रकारो को कार्यवाही चल रही हैं कहकर टालना एवं संबंधित बाबू छुट्टी पर हैं कहकर दिनांक ३० अप्रैल तक टाला गया।
३. इस मामले में स्कूल प्रबंधन द्वारा दिये गये कारण बताओ सूचना पत्र के जवाब के आधार पर कैसे जिला शिक्षा अधिकारी संतुष्ट हो गये यह भी संदेह को गहरा करता हैं।
४. अंतत: इसी प्रवेश परीक्षा की मेरिट के आधार पर २५-०४-२०१० को शाला के नोटिस बोर्ड में टंगी सूची जिसमें उत्तीर्ण छात्रों के नाम जिनमें केजी वन के चार, केजी टू के दस, पहली के ग्यारह, दूसरी के दो, तीसरी के तीन, चौथी के चार, पाँचवी के दो छात्रों के नाम एवं फीस जमा करने की अंतिम तिथि ०१-०५-२०१० लिखी थी एवं एडमीशन के समय जन्म प्रमाण पत्र एवं पिछली कक्षा की अंक सूची की मांग करते हुये एडमीशन फार्म भरने की बात लिखी थी।

निर्णय
इस प्रक्रिया का अंतत: यही निर्णय निकला कि नियम तो होते ही हैं तोडऩे के लिये आज वह पालक जिसने प्रशासन के अधिकारियों पर भरोसा करते हुये यह कदम उठाया था उसे कितनी ठेस लगी होगी और लगना ही चाहिये क्योंकि आज के युग में पैसा हर गलती को दबाने में सक्षम हैं अगर आज भी जिला शिक्षा अधिकारी में स्वाभिमान जिंदा हैं तो वे इस स्कूल के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही जरूरी करेंगे क्योंकि इस अवैध परीक्षा से संबंधित सभी दस्तावेज आज भी उस पालक के पास में मौजूद हैं।

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