Friday, July 2, 2010

मध्यप्रदेष विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंष सिंह ने अपना पक्ष रखा





(पिंकी उपाध्याय)
श्री सिहं ने कहा कि समाचार पत्र और इलेक्ट्रानिक मिडिया मे मेरे और मेरे पु़त्र द्वारा जमीन खरीदी के मामले में उल्लेख करते हुए तरह तरह के समाचार प्रकाषित हो रहे है इस संबंध में न्यायालय मेें प्रस्तुत अभिलेखों की प्रमाणित प्रतिलिपियों के आधार पर यह जानकारी देना चाहता हॅॅॅॅू कि दिनांक 18/05/2010 को ग्राम आमानाला निवासी मोह.ष्षाह आत्मज इम्तियाज खान ने माननीय न्यायालय श्री ए.एस.सिसोदिया न्यायिक दण्डधिकारी प्रथम श्रेणी लखनादौन के समक्ष एक मिथ्या एवं आधारहीन परिवाद के नियाज अली तथा मेरे एंव मेरे पु़त्र रजनीष सिंह के विरूद्ध प्रस्तुत किया । परिवाद के आधार पर श्रीमान न्यायिक दण्डाधिकारी द्वारा अन्वेषण का आदेष पुलिस थाना धनौरा को दिया गया और रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु 18/06/2010 की तिथि निर्धारित की गई चूॅकि माननीय न्यायिक दण्डाधिकारी के द्वारा अन्वेषण के लिये जो परिवाद भेजा गया था उसमें घटनास्थल घटना का समय एवं दिनांक इत्यादि का विवरण नही था कारण तथा जिस दस्तावेज के संबंध में धोखा देना कहा गया था वह संलग्न नहीं था इसलिए विषिष्टियॉ एकत्र करने के लिये पुलिस ने प्रारभिक जॉच की । पुलिस की प्रारंभिक जॉच एवं षिकायत कर्ता के कथनों में यह पाया कि मोह.ष्षाह और उनके भाई नियाज अली के साथ इस अपराध में कहीं कोई समावेष होना नहीं पाया गया तथा चौकी प्रभारी सुनवारा के द्वारा दिनांक18/06/2010 को न्यायालय के समक्ष प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। माननीय न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी के द्वारा षिकायत कर्ता मोह. ष्षाह से ष्षपथ पर दिये गये न्यायालयीन कथनों में यह स्पष्ट रूप से कहा है कि उसके और अन्य सह खातेदारों के बीच जमीन का बंटवारा हो गया है और वह 5 एकड़ भूमि के अलग कब्जे में है उसने यह भी स्वीकार किया है कि उसने न्यायालय में प्रस्तुत परिवाद में किसी इकरारनामें का जिक्र नहीं किया है अपने बयान में उसने यह स्पष्ट किया है कि उसका विवाद उसके भाई नियाज अली से है न कि मुझसे या मेरे पुत्र रजनीष सिंह से है षिकायत कर्ता मोह.ष्षाह के अनुसार उसका वाद-विवाद एवं लड़ाई झगड़ा व मारपीट उसके भाई नियाज अली के साथ हुआ था जिसकी रिपोर्ट मोह.ष्षाह द्वारा पुलिस चौकी सुनवारा में दर्ज की गई । मोह.ष्षाह ने अपने न्यायालयीन कथनों में यह भी स्पष्ट किया है कि मुझसे व मेरे पुत्र रजनीष सिंह से कभी भी उसकी कोई व्यक्तिगत बातचीत नही हुई और न कभी भी मैने और मेरे पुत्र ने अपने न्यायालयीन कथनों में यह भी स्पष्ट किया है कि मुझसे व मेरे पुत्र रजनीष सिंह ने उसे कभी भी कोई धमकी दी है उसने यह भी स्वीकार किया है कि उसने मेरे और मेरे पुत्र के विरूद्ध कभी कोई पुलिस रिपोर्ट नही की है । मोह. ष्षाह के बयान के अनुसार मैने और मेरे पुत्र रजनीष सिंह ने मोह. ष्षाह को छोड़ उसके अन्य यह खातेदारों से न तो कोई इकरारनामा लिखाया है और न ही कोई भूमि का विक्रय पत्र लिखवाया है । मोह. ष्षाह से न्यायालय द्वारा बहुत लंबी पूछताछ कर उसके बयान लेखद्ध किये गये इस लंबी पूछताछ के दौरान मोह. ष्षाह ने मेरे पुत्र के विरूद्ध कोई भी आरोप नहीं लगाये है यहॉ तक कि वह यह भी कहता है कि उसकी मुझसे या मेरे पुत्र से कोई व्यक्तिगत मुलाकात भी नहीं हुई है । परिवाद के तथ्यों के संबंध में भी मोह ष्षाह को जानकारी नहीं है ।
षिकायतकर्ता मोह. ष्षाह के न्यायालय में दिये गये कथनों से स्पष्ट है कि हमारे द्वारा कोई विक्रय पत्र इकरारनामा या कोई भी रसीद नहीं लिखाई गई है और न ही हमने कोई सौंदा किया है जब कोई रजिस्ट्री इकरारनामा या रसीद ही अस्तित्व में नही है तो धोखा देने का कोई प्रष्न ही उत्पन्न नहीं होता है और यदि जन सामान्य के पास ऐसा कोई दस्तावेज या कोई मौखिक साक्ष्य उपलब्ध हो तो वह उसे प्रकट कर सकता है । षिकायतकर्ता मोह. ष्षाह ने स्पष्ट रूप से अपने कथन में यह स्वीकार किया है कि उसकी मुझसे या मेरे पुत्र रजनीष से कोई मुलाकात नहीं हुई है । जब षिकायतकर्ता की हम लोगों से कोई मुलाकात ही नहीं है तो हमारे द्वारा उसे धमकी देने गाली देने या अन्य किसी भी प्रकार की धौंस देने का प्रष्न ही उत्पन्न नहीं होता है ।
पूर्व में पुलिस द्वारा की गई विवेचना और मोह. ष्षाह के न्यायालयीन कथनों से स्पष्ट है कि मेरे विरूद्ध विपक्ष द्वारा साजिष की गई है और मेरे विरूद्ध राजनैतिक रूप से क्षति पहॅूचाने के उद्देष्य से मिथ्या कानूनी कार्यवाही कराई गई है । मैंने और मेरे पुत्र ने मोह. ष्षाह को ने तो कोई धोखा दिया है और न ही उनको कभी डराया धमकाया गया है जो जमीन की खरीदी बिक्री बताई जा रही है उससे भी मेरा और मेरे परिवार का कोई लेना-देना है उक्त परिवाद के तथ्य मिथ्या व झूठे हैं मेरे और मेरे पुत्र के विरूद्ध विरोधियों द्वारा तोड़-मरोड़कर मिथ्या तथ्य आम जनता के समक्ष प्रस्तुत करने का हमेषा की तरह किया गया कुत्सित प्रयास है जिससे कि मेरी राजनैतिक एवं सामाजिक छबि धुमिल की जा सके ।
पुलिस ने न्यायालय के द्वारा दिये गये आदेष दिनांक 18/05/2010 के परिपालन में प्रारंभिक जॉच की और इस जॉच में पुलिस ने यह पाया कि मेरे और मेरे पुत्र रजनीष के विरूद्ध कोई अपराध नहीं बनता है तथा नियाज अली के विरूद्ध प्रथम दृष्टया अपराध पाये जाने पर पुलिस ने नियाज अली के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध किया तथा न्यायालय में दिनांक18/06/2010 को अंतिम प्रतिवेदन न्यायालय में प्रस्तुत किया इस प्रतिवेदन के अवलोकन के उपंरात माननीय न्यायालय द्वारा षिकायतकर्ता मोह.षाह को सुना गया और उसके कथन लेखबद्ध किये गये इस प्रक्रम में माननीय न्यायालय ने यह पाया कि अंतिम प्रतिवेदन न्यायालय के आदेषानुसार नहीं है इसलिए उन्होंने मोह. षाह निरस्त कर पुलिस थाना धनौरा को सभा आरोपियों मेंविरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कर अन्वेषण अपरांत प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के आदेष दिये गये तक मुझे समाचार पत्रों से ज्ञात हुआ कि पुलिस ने न्यायालयीन आदेष के परिपालन में मेरे और मेरे पुत्र के विरूद्ध प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया है । विदित हो कि परिवाद प्रकरणों में कोई जॉच नही की जाती है बल्कि अपराध पंजीबद्ध होनें के बाद पुलिस द्वारा विवेचना की जाती है और पुलिस थाना धनौरा ने इस न्यायालयीन आदेष के परिपालन में ही अपराध पंजीबद्ध कर अन्वेषषण प्रारंभ किया गया है अन्वेषण में जो भी तथ्य आवेंगे उनके अनुसार पुलिस को न्यायालय में आरोप पत्र खारिजी अथवा खात्मा प्रस्तुत करना होगा । मेरे और मेरे पुत्र के विरूद्ध जो तथ्य अभी तक आये हैं उनसे स्पष्ट है कि हम लोग पूर्णतः निर्दोष है
उक्त मामला अभी न्यायालयीन प्रक्रिया में है और मुझे सम्माननीय न्यायालय और न्यायालयीन प्रक्रिया पर पूर्णरूपेण विष्वास है । भविष्य में माननीय न्यायालय और आम जनता के समक्ष इस प्रकरण से संबंधित सच्चाई स्पष्ट भी हो जाएगी अभी तक जो तथ्य माननीय न्यायालय और पुलिस के सामने आये हैं उन्हें प्रकट करना मेरी जवाबदारी है इसलिए मैं यह सच्चाई आपके सामने रख रहा हॅू


परिवादी मोह.षाह के न्यायालयीन कथन और पुलिस प्रतिवेदन
1.मेरी जमीन कुंआ खेड़ा ग्राम में है उक्त जमीन सभी हमारे द्वारा क्रय नहीं की गई; उक्त जमीन में से आधी जमीन लगभग ग्राम के पटेल द्वारा खैरात में दी गई थी और आधी जमीन हमारे द्वारा खरीदी गई थी । उक्त जमीन मात्र मेरे नाम पर राजस्व प्रपत्रों में नाम पर दर्ज नहीं थी । उक्त जमीन राजस्व प्रपत्र में मेरे अलावा मेरी तीन बुआ और चार बहनों और चार भाईयों के नाम पर दर्ज थी । इसके अलावा दो तीन अन्य व्यक्तियों के नाम थे जिनका नाम मेरे अन्य सह खातेदारों द्वारा कटा दिया गया ।
2. उक्त सभी जमीनों का बंटवारा खातेदारों के मद आपस में मौलिख हो गया था किन्तु हमारे द्वारा कभी भी उक्त जमीनों का बंटवारा अनुसार अलग-अलग बही बनाये जाने के लिये कोई कार्यवाही नहीं की गई । मै जिस हिस्से पर खेती करता था उसके संबंध में मेरे द्वारा कभी भी किसी राजस्व अधिकारी से सीमांकन नही कराया गया मेरे हिस्से की जमीन चारो दिषाओं से मेढ़ से बंद है । उक्त सम्पूर्ण जमीन लगभग रकबे पर मेरा कब्जा है । मैनें न्यायालय में प्रस्तुत परिवाद पत्र में किसी इकरार नामा के संबंध में कोई जिक्र नहीं किया है । मैं इकरार नामे का मतलब नहीं जानता है । ऐसा नहीं है कि अभियुक्तगण ने इकरारनामा बनाकर भूमि विक्रय की है मैंने कोई इकरारनामा ।