सिवनी-:नगर से बड़े-बड़े शहरो एवं गांवो की ओर आने जाने के लिये निजी बसो की भरमार हैं बस ऑपरेटरो की मनमानी और बस स्टेंड में चलती अव्यवस्थाओं के चलते आम यात्री इस समय सबसे ज्यादा परेशान हैं जिसमें सबसे बड़ी मुसीबत मनमाने ढंग से यात्री किराया बढ़ाने की हैं इस समय बस संचालकों ने जो किराये का निर्धारण किया हैं वह यात्रियों के गले नहीं उतर रहा हैं इसी कारण निजी बस स्टेंड में आये दिनो विवाद की स्थिति निर्मित हो रही हैं।
अधिकतम निजी बसो का शहर में प्रवेश नहीं हो पा रहा हैं इन बसो के शहर के अंदर न आने से जहां यात्री परेशान हैं वही ऐसी दशा में ज्यादा किराया लेना परेशानी को और बढ़ा देता हैं जैसे सिवनी से जबलपुर जाने का किराया ८० रूपये हैं तो बस ऑपरेटर ९० और १०० रूपये वसूलते हैं इसी प्रकार नागपुर जाने का किराया भी ८० रूपये है जो ९० और १०० रूपये तक लिये जाते हैं गांव देहात के यात्रियों के लिये यह अंतर बहुत होता हैं किंतु डर के मारे वे किराया दे देते हैं जब यह स्थिति स्थानीय यात्रियों के साथ होती हैं तो विवाद की स्थिति बन जाती हैं।
कई स्थानो के किराये निश्चित न होने के कारण जैसे भोपाल, रीवा, जबलपुर, नागपुर समेत अन्य शहरो के लिये जाने वाली बसो में किराया निर्धारित नहीं हैं जिसके कारण कुछ बस ऑपरेटर प्रतिस्पर्धा में कम किराया लेते हैं तो सुविधा के नाम पर कुछ किराया बढ़ा देते हैं।
नियम यह है
आरटीओ विभाग द्वारा किराया सूची जारी की गई हैं जिसे बसो में लगाना अत्यंत आवश्यक हैं किंतु कोई भी बस ऑपरेटर अपनी सेटिंग के चलते अपने बसों में किराया सूची लगाना जरूरी नहीं समझता आज निरीक्षण करने पर किसी एक भी बस में किराये की सूची नहीं लगी थी।
सो रहा आरटीओ प्रशासन
बस ऑपरेटरों की इस कार्यप्रणाली से लिये जा रहे किराये के खिलाफ आज तक आरटीओ विभाग द्वारा क्यों एक भी कार्यवाही नहीं की गई क्यों परिवहन विभाग अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ रहा हैं मामला सीधा हैं कार्यवाही न होने से बस ऑपरेटर और टिकिट एजेंट को मनमाना फायदा होता हैं और जब इन्हें फायदा हो रहा हैं तो आरटीओ को इसका फायदा मिलेगा ही
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